निर्देशक का संदेश

प्रत्येक अभिभावक अपने नवजात शिशु के धरती पर आते ही उसके मन मे ऐसे भाव उत्पन्न होने लगते हैं कि मेरा बच्चा अच्छी शिक्षा प्राप्त कर जहाँ परिवार के लिए भरण-पोषण का कार्य करे वहीं आगे चलकर एक सुयोग्य नागरिक बनकर राष्ट्र एवं समाज के लिए भी कुछ करने मे सक्षम हो सके तभी इसका जीवन सार्थक होगा। अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए वह हर प्रकार से यत्न एवं प्रयत्न करता है। आज इस भौतिक युग में समयाभाव के कारण तीन वर्ष के बाद से ही किसी शैक्षिक संस्थान में अपने बच्चे को सीखने के लिए डाल देता है। परन्तु चौबीस घण्टे मे अठठारह से बीस घण्टे तक बच्चा अपने घर मे ही रहता है तथा उसके ऊपर परिवार के परिवेश का गहरा असर पड़ता है और अपने माता पिता सहित परिवार के अन्य सदस्यों से सीख लेता है। शेष चार से छ: घण्टे के लिए वह अपने पाल्य को किसी विद्यालय मे भेजता है जहाँ उसे विश्वास होता है कि शिक्षक हमारे बच्चे को एक अच्छा इन्सान बनाएँगे।

साथियों अभिभावक के इसी भावना को लेकर हमारे पूर्वजों ने समाज को कुछ देने के लिए ग्राम-अभूराम में एक शैक्षिक नर्सरी की स्थापना किया जो वर्तमान में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तथा व्यवसायिक शिक्षा प्रदान कर रहा है। जिसका अपना एक विशाल परिसर तथा सुसज्जित विशाल भवन है। वास्तव में हम जहाँ के निवासी है यह क्षेत्र पिछड़ा एवं कछार क्षेत्र कहा जाता है और इसी पिछड़ेपन को समाप्त करने के लिए शिक्षा की व्यवस्था की गयी है। शिक्षा की माँग और विकास की एक प्रमुख कड़ी है। आइये हम सब मिलकर इस संस्थान को सुसज्जित करते हुये आगे बढ़ाये यही आप से मेरा निवेदन है।

जय हिन्द।

ई० अखिलेश्वर नाथ त्रिपाठी

डायरेक्टर